योग चिकित्सा

योग जीवन जीने की कला है , एक जीवन पद्धति हैI योग के अभ्यास से सामाजिक तथा व्यक्तिगत आचरण में सुधार आता है। योग के अभ्यास से मनोदैहिक विकारों/व्याधियों की रोकथाम, शरीर में प्रतिरोधक क्षमता की बढोतरी होतो है ।योगिक अभ्यास से बुद्धि तथा स्मरण शक्ति बढती है तथा ध्यान का अभ्यास, मानसिक संवेगों मे स्थिरता लाता है तथा शरीर के मर्मस्थलों के कार्यो को असामान्य करने से रोकता है । अध्ययन से देखा गया है कि ध्यान न केवल इन्द्रियों को संयमित करता है, बल्कि तंत्रिका तंत्र को भी नियंमित करता है।

अब योग से करें रोगों का निदान

योग शब्द वेदों, उपनिष्दों, गीता एवं पुराणों आदि में अति पुरातन काल से व्यवहृत होता आया है। भारतीय दर्शन में योग एक अति महत्वपूर्ण शब्द है। महर्षि व्यास योग का अर्थ समाधि कहते हैं उपर्युक्त ऋषियों की मान्यताओं के अनुसार योग का तात्पर्य शरीर का पूर्णरूप से शुद्धिकरण करके उसे रोगों से मुक्त करके स्वस्थ्य जीवन का वहन करना माना गया है। अभी बीते दिनों 21 जून को भारत सहित सम्पूर्ण विश्व ने योगा दिवस को मनाया, जिसमें जगह जगह लोगों ने योग के द्वारा खुद को सेहतमंद रखने का प्रण किया था।

बिमारियों में योग श्रेष्ठ थेरेपी'

स्वामी विवेकानंद योग रिसर्च फाउण्डेशन के अध्यक्ष डा. एच आर नागेन्द्र ने दावा किया कि मधुमेह, अस्थमा, मोटापा, मानसिक तनाव और उच्च रक्तचाप के लिए योग श्रेष्ठ उपाय है।

महात्मा गांधी अस्पताल और मेडिकल कालेज में आयोजित व्याख्यानमाला और संवाददाताओं से बातचीत में डा. नागेन्द्र ने कहा कि प्रतिदिन एक घंटे सही तरीके से योग करने से इन बीमारियों से सौ प्रतिशत निजात मिल सकती है और आधुनिक दवाइयों से मुक्ति पाई जा सकती है।

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